Connect with us

स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह का निधन, वर्ष 1972 में इंदिरा गांधी ने दिया था ताम्रपत्र…

उत्तराखंड

स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह का निधन, वर्ष 1972 में इंदिरा गांधी ने दिया था ताम्रपत्र…

देहरादून। 104 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह बिष्ट  का आज रविवार को निधन हो गया। साधु सिंह बिष्ट (104) पुत्र बद्री सिंह मूल निवासी देवप्रयाग हाल निवासी बारूवाला कांडरवाला, भानियावाला की तबीयत बिगड़ने पर उन्हे जौलीग्रांट अस्पताल ले जाया गया।

जहां डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। वो अपने पीछे दो पुत्र व एक पुत्री छोड़ गए हैं। साधु सिंह बिष्ट के छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह ने कहा कि उनके पिता की पिछले कुछ समय से तबीयत खराब चल रही थी।

रविवार सुबह उन्होंने खाना खाया। लेकिन उसके बाद उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। जिसके बाद उन्हे जौलीग्रांट अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनके पिता को मृत घोषित कर दिया।

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री धामी ने उत्तरांचल प्रेस क्लब द्वारा आयोजित दीपावली महोत्सव-2025 कार्यक्रम में प्रतिभाग किया

कहा कि उनके पिता ने सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी के लिए कई वर्षो तक संघर्ष किया। वो इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) की गोरिल्ला रेजीमेंट में थे। और देश की आजादी के लिए वो कई वर्षो तक लड़ते रहे। उनके हाथों और पीठ पर भी कई गोलियों के निशान हैं।

उन्होंने सिंगापुर, हांगकांग, मलेशिया आदि में नेताजी के साथ देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला, पूर्व प्रधान नरेन्द्र सिंह नेगी ने उनके आवास पर जाकर संवेदना व्यक्त की हैं। उनका अंतिम संस्कार कल हरिद्वार में किया जाएगा।

यह भी पढ़ें 👉  राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति निकेतन में फुट ओवर ब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र का किया लोकार्पण

वर्ष 1972 में इंदिरा गांधी ने दिया था ताम्रपत्र

डोईवाला। साधु सिंह को वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र प्रदान किया था। स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह वर्ष 1940 में सेना में भर्ती हुए, तब सिंगापुर-मलय में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था।

युद्ध के दौरान उन्हें व उनके तमाम साथियों को जापानियों ने कैद कर लिया। जब वे जेल से छूटे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नारे ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ से प्रभावित होकर आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए। ‘नेताजी की अगुआई में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई तेज हो चुकी थी। उनकी चटगांव में दुश्मनों से जोरदार जंग हुई। कई जवान घायल हो गए,

यह भी पढ़ें 👉  कीर्ति इंटर कॉलेज उत्तरकाशी में प्रथम विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी प्रीमियर लीग आयोजित

लेकिन उन्होंने और उनकी सेना ने घुटने नहीं टेके और दुश्मन से लोहा लेते रहे। उनके कई सैनिकों को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया। युद्ध में हाथ पर गोली लगने से साधु सिंह घायल हो गए। और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। सात अप्रैल 1946 को उन्हे जेल से रिहा किया गया।’

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ADVERTISEMENT VIDEO

Advertisement
Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

ADVERTISEMENT

To Top